तुम से रूठ कर कहाँ जायेंगे हम |
दिल तेरा तोड़ कर क्या पाएंगे हम ||
ये   तो   जहाँ    का    रिवाज   है  |
जो बिछड़ कर ही मिल पाएंगे हम ||

© Shekhar Kumawat